गज़ल – इंसान की फितरत
हिंदी विकास मंच
बोकारो,धनबाद,भारत
पहली बार गजल लिखने का प्रयास किया है
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चेहरे पर चेहरा लगा लेते हैं लोग
अपना बना के दगा देते हैं लोग
सच और झूठ की पहचान है मुश्किल क्यों की
हकीकत को छुपा देते हैं लोग
जिनके दामन से फूल उठाते हैं
सुनकर उनको ही कांटा चुभा देते हैं लोग
प्यार की बस्ती बसाएगा कैसे
कोई घर घर में आग लगा देते हैं लोग
मुद्दत की दोस्तों पल भर में मेहंदी की धोकर
दिल से भी कैसे भुला देते हैं लोग
जिस आशिक ने कभी दिल को नहीं देखा
उस दिल की कसमें खाते हैं लोग
मोहब्बत तो एक डूबता हुआ नाव है
ना जाने फिर क्यों मोहब्बत करते हैं लोग
खुद तो बने होते हैं मोम के
न जाने फिर क्यों सूरज से लड़ते हैं लोग
जो कभी खुद बेवफा थे
न जाने दूसरों से क्यों वफ़ा की उम्मीद करते हैं लोग
आस तो खुद की होती है उसे पाने की
न जाने फिर क्यों प्यार को खुदा मानते हैं लोग
राज वीर शर्मा
संस्थापक सह अध्यक्ष-हिंदी विकास मंच
महेश मेहंदी से प्रेरित होकर