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29 Nov 2019 · 3 min read

ग्वार फली

ग्वार फली
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छुटपन से अक्सर मन में यह विचार आया करता कि ये देवता लोग क्या खाते होंगे , इनका भोजन ज़रूर कुछ विशेष रहता होगा !
अब जाकर कहीं समझ में आने लगा कि बाकि व्यंजनों का तो पता नहीं , लेकिन हां , उनके भोजन में कुछ और हो न हो, ग्वार फली अवश्य शाामिल रहती होगी !
वैसे ग्वार फली को पितरों को संतुष्ट करने का एक माध्यम भी समझा जाता है. हमारे उत्तर प्रदेश में माना जाता है कि श्राद्ध के समय पंडितजी की थाली में जब तक ग्वार फली न हो , श्राद्ध का पुण्य नहीं लगता . तो हुआ न यह देवताओं का मनपसंद भोजन !
मेरा ग्वार के प्रति मोह केवल वही लोग समझ पाएंगे जिन्हें इस खूबसूरत, भोली और सीधी-सादी किंतु बनाने में ज़रा सी टेढ़ी सब्जी से उतना ही प्यार है जितना एक छोटे शरारती बच्चे को समझाती, सजाती- संवारती मां को अपने बच्चे से होता है !
ग्वार फली के स्वाद की व्याख्या करना भी आसान नहीं है.
इसका स्वाद न तो फीका, न मीठा , न खट्टा और न कसैला होता है. इसका स्वाद बेमिसाल होता है ! असल में इसके स्वाद ने ही यह अहसास दिलवाया कि यह देवताओं के भोजन का हिस्सा अवश्य ही होगी !
ग्वार का वैज्ञानिक नाम ‘साया मोटिसस टेट्रागोनोलोबस’ है।इसे क्लस्टर बीन्स भी कहा जाता है.
डाक्टरों की माने तो ग्वार को अपने दैनिक आहार में शामिल करना सबसे बढ़िया होता है क्योंकि ये दिल को स्वस्थ रखने वाले भोजन के रूप में काम करता है। यह रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करने में फायदेमंद है। दिल से जुड़ी बीमारियों की रक्षा के अतिरिक्त यह पोटेशियम, फाइबर और फोलिएट से परिपूर्ण हैं।
यह शीतल प्रकृति की और ठंडक देने वाली है
ग्वार की ये सीधी -सादी , भोली-भाली हरी-भरी , हंसती-मुस्कुराती फलियां बहुत ही खास हैं और ये इन्हें साफ करने वाले व्यक्ति के हाथों पूरा प्यार और सम्मान पाती हैं .
ग्वार की फलियां साफ करना मानो किसी नटखट बच्चे को तैयार करके स्कूल भेजना . बस ज़रा सी चूक और स्वाद बेस्वाद हो जाता है.
इन्हें साफ करने के लिए इनके किनारों से मोटे रेशों को अलग करते हुए अचानक ही अहसास होने लगता है कि ठीक इसी प्रकार से ही तो हम अपने जीवन से सारी नकारात्मक चीज़ों को ध्यानपूर्वक हटा कर जीवन का भरपूर आनंद उठा सकते हैं न !

मेरी इन बातों का मर्म केवल एक ग्वार प्रेमी ही समझ सकता है . बाकियों को यह व्यंग्य भी लग सकता है!

मुझे तो अक्सर कहीं जाते हुए पीछे से सब्जी के ठेले से ग्वार फली की लहक अपने पास बुला ही लेती है . फिर चाहे कितना ही व्यस्त दिन हो , उसकी फलियों को प्यार-दुलार कर संवारने का मोह कभी नहीं छोड़ पाती ! कुछ ऐसा प्यार है मेरा इस ग्वार के लिए. कोई मेहमान खाने पर आने वाला हो तो लगता है अपना प्यार बस ग्वार खिलाकर ही लुटा सकती हूं ! कभी बेसन के साथ भूंजकर बनाऊं तो कभी लहसुन के छौंके के साथ ! कभी उबालकर तो कभी कच्ची ही कड़ाही में छौंककर ! हर प्रकार से स्वादिष्ट लगती है ये ग्वार ! साथ में परांठा या रोटी कुछ भी खा लीजिए , बेहतरीन लगेगी!
इससे भली सब्जी और क्या होगी ? जो खुदबखुद हमारा इतना प्यार ले लेती है और बदले में हमें ऐसे तृप्त करती है कि स्वर्ग का सुख भी तुच्छ लगता है!
जीवन जितना खूबसूरत होता है , उतनी ही खूबसूरत सब्जी होती है यह.
आसान सी दिखने वाली यह ग्वार उतनी ही कठिन भी है! चाहे आलू के साथ हो या आलू के बिना ! होता होगा आलू सब्जियों का राजा , लेकिन ग्वार अपनी मर्जी की महारानी है !
सच मानिए तो इस भोली-भाली सी दिखने वाली ग्वार सच में उतनी भोली नहीं है , यह बनाने वाले के साथ-साथ खाने वाले का दिल भी चुरा लेती है !

‘हरी-भरी सी सीधी-सादी दिखती जितनी भोली,
गजब स्वाद है, एकबार चखो तो, प्यारी लगेगी ग्वार फली !’
~Sugyata

Language: Hindi
Tag: लेख
433 Views
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