ग्लोबल वार्मिंग ; मानवीय करतूतों का फल
प्रकृति की पुकार, ग्लोबल वार्मिंग का संघर्ष,
हमें जगाती है सच्चाई, देती है संकेत वर्षा का।
धरती की तपती धुप, जलती हुई ज्वालाएं,
प्राकृतिक संतुलन को है ध्वस्त करती ये आंधियाँ।
ग्लेशियर के पिघलने से बढ़ रही समस्या,
पृथ्वी के बदलते रंग, खतरे की घंटी बजा रहा।
बारिश के मौसम में अनियंत्रित बदलाव,
पानी की कमी और जलवायु परिवर्तन की चिंता छाया रहा।
हिमनदों की घाटी में भूषण हो रही है सूखा,
जीवन की रक्षा के लिए हमें चाहिए कर्मचारी योजना।
वनों की विलुप्ति, नदियों की प्रदूषण समस्या,
पर्यावरण संरक्षण में हमें लागू करनी चिंता।
सबसे बड़ी समस्या है हमारी लापरवाही,
जागो अब हमें वातावरण की रक्षा करने की चेतना जगा।
हर इंसान की जिम्मेदारी है प्रकृति की सुरक्षा,
ग्लोबल वार्मिंग के खतरों से करें हम जगह।
प्रेम करें प्रकृति से, हर जीव को सम्मान दें,
ग्लोबल वार्मिंग को रोकें, धरती को स्वच्छ और हरा-भरा बनाएं।