ग्रीष्म
??
तपती धूप
अगन बरसती
खोजती छाया
??
रवि प्रचंड
है संतप्त बैशाख
तीक्ष्ण रश्मियां
??
प्यासी वसुधा
शुष्क हैं तरुवर
है त्राहि त्राहि
??
है अनुनय
एक कटोरा जल
पंछी है प्यासा
??
पानी की टंकी
मूक है पशुधन
प्यास बुझेगी
??
वृक्षारोपण
प्रकृति संरक्षण
हो जलवृष्टि
??
हों मितव्ययी
बहे व्यर्थ न जल
जल अमृत
??
पुण्य कमाएं
ग्रीष्म में जल सेवा
प्याऊ लगाएं
??
जेठ महीना
सत्तू एक कटोरा
शीतल जल
??
कैरी का पना
चटनी पुदीने की
छाछ पीजिए
??
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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