ग्रीष्म ऋतु
गर्मी मौसम ताप का, त्रस्त हुआ संसार |
पौधे आतप से जले , सूखी जल की धार |
सूखी जल की धार,नदी की धारा गाती |
दिनकर करते कोप,फटी धरती की छाती |
कहें प्रेम कविराय, फसल में छायी नरमी|
पके डाल के आम,आम में सिमटी गर्मी |
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम