ग्रीष्म ऋतु भाग ३
निर्झर से जल हुआ विलुप्त है
तटनी प्रवाह भी मन्द पड़ा है।
वन प्राणी झुंड तृष्णा मिटाने
नए जलस्रोत की खोज में चला है।
पुष्प रसपान वाला मधु झुंड भी
जल रस का भोग करने लगा है।
रवि तेज भी विष्णु धरा पर
ग्रीष्म की वर्षा करने लगा है।
-विष्णु प्रसाद ‘पाँचोटिया’
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