*ग्राहक और दुकानदार (लॉकडाउन कहानी)*
ग्राहक और दुकानदार (कहानी)
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रमेश की दुकान पर तीन ग्राहक आए ,बैठे। एक ने आर्डर दिया ” पाँच ग्राम की सोने की गले में पहनने की कंठी खरीदनी है ।”
यह पुरुष था ,जिसने कहा था । दो स्त्रियाँ चुपचाप बैठी रहीं। तीनों के चेहरे पर मास्क लगा हुआ था । लेकिन क्या उसे “लगा हुआ” कहा जा सकता था ?
रमेश ने दृढ़ता पूर्वक कहा ” अगर सामान खरीदना है तो मास्क नाक पर ढक कर लगाइए ।ठोढ़ी पर लटका हुआ मास्क काम नहीं करेगा ।”
दोनों स्त्रियाँ कहने लगीं ” कोई कोरोना – वोरोना नहीं है । बस हम तो मास्क लटकाकर इसलिए आए हैं ताकि चालान से बच जाएं ।”
” फिर क्षमा कीजिए । मुझे आपको कुछ नहीं बेचना है । या तो पूरा मास्क लगाइए वरना जय राम जी की ।” रमेश ने हाथ जोड़ दिये । पुरुष बड़बड़ाने लगा -“इतने नखरे दुकानदार होकर तो कोई भी नहीं करता ! ”
फिर चारों तरफ हाथ घुमाते हुए रमेश से कहने लगा ” देखो सब जगह दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ लगी हुई है । किसी ने मुंह पर मास्क लगाया हुआ हो तो बताओ ? ”
रमेश में कहा ” इसीलिए एक चौथाई दुकानें बाजार में बंद चल रही हैं । या तो वे स्वयं कोरोना ग्रस्त हो चुके हैं या उनके परिजन कोरोना से पीड़ित हैं । भगवान आपकी रक्षा करें । ”
गुस्से में भुनभुनाते हुए तीनों ग्राहक चले गए । रमेश को बड़ा चैन महसूस हुआ। दुकान पर मौजूद नौकर ने चेहरे को मास्क से और भी कसकर ढकते हुए पूछा ” बाबूजी ! आपने बेकार ही अपना नुकसान कर दिया ?”
रमेश ने मुस्कुराते हुए कहा ” मैंने बहुत बड़ी कमाई इस समय की है।”
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लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451