गौ माता
सारा जग माता कहे,
कोटि देव करें वास,
बंधे जिस गृह बीच,फैलती सुवास है।
दूध दही घी के साथ,
गोबर गौ मूत्र मिला,
पंच गव्य पियो जगे,अंतर प्रकाश है।।
दूध बल को बढ़ाये,
मूत्र रोग को मिटाये,
गोबर से लीपो होता,शुद्धता का भास है।
गाय है महान किन्तु,
काटते जलील लोग,
उनकी हबस से ही,जग ये निराश है।।