गौर वर्ण झाईं पड़त
गौर वर्ण झाईं पड़त , हरित श्याम होइ ।
एक दूसरे में समा , सुध-बुध दोनो खोइ ।।
सुनि मुरलि की मधुर तान , राधे दोड़ी आय
बिसराय बैठि अपुन को , दूजा कैसे भाय
ज्ञान उपदेश न भाये, कृष्ण प्रीति में डूब
तान मधुर सुन कर , दूर हो गई ऊब
गौर वर्ण झाईं पड़त , हरित श्याम होइ ।
एक दूसरे में समा , सुध-बुध दोनो खोइ ।।
सुनि मुरलि की मधुर तान , राधे दोड़ी आय
बिसराय बैठि अपुन को , दूजा कैसे भाय
ज्ञान उपदेश न भाये, कृष्ण प्रीति में डूब
तान मधुर सुन कर , दूर हो गई ऊब