गौर फरमाएं अर्ज किया है….!
गौर फरमाएं अर्ज किया है….!
फिर मेरी गलती की गलती से वजह न हो,
लड़ाई इश्क में हो, मुश्किल है, वजह न हो
मैं फरमाऊं दुख भरी दास्तां तुम्हे मगर लेकिन,
मैं फरमाउं तब न, जब, तुम्हे कुछ पता ना हो
फिर इश्क में टूटकर भी हंसते महफिल में हम,
अब सामने तुम और जैसे के कुछ हुआ ना हो,
हजारों दर्द को दबाए, सीने में, यही सोचता हूं मैं,
फिर अरसे बाद अब ये अहसास उसे जरा ना हो,