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22 Feb 2017 · 1 min read

गौरैया : नवगीत

नवगीत

*
जब उठ जाये दाना पानी!
उस मुंडेर पर बैठे रहना,
प्रिय गौरैया! है नादानी!!
*
जाने किसके मन में क्या है?
जग की बातें सभी निराली!
सबके सपने रंग बिरंगे,
लेकिन सबकी जीभें काली!
बूढ़ी दादी के दुःख को ही,
समझ न पायी बूढ़ी नानी!
*
द्वेष भरा है, दम्भ भरा है,
डस लेने की बेचैनी है!
हर तोते पर, हर कोयल पर,
आँखें गिद्ध रखे पैनी है!
आकर उड़ जाते हैं खंजन,
कौओं से भर जाती छानी!!
*
आँगन ठहरे दिन संन्यासी,
सुस्तायेंगे, निकल जायँगे!
कुछ मायावी बंधन सबको,
अजगर बनकर निगल जायेंगे!
बनते और बिगड़ते रिश्ते,
सारी बातें आनी जानी!!

जब उठ जाये दाना पानी!
*
डॉ.₹!मकुमा₹ ₹!मरि या, 18.6.16, प्रात: ४.३०, ‘नियति

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 255 Views
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