गौरैया🐦
चीं चीं की आवाज संग फुदकती आती थी
एक छोटी सी गौरैया हमे नींद से जगाती थी
छोटी छोटी चोंच से दाने चुग चुग खाती थी
हल्की सी आहट पाते ही जा मुंडेर पर बैठती थी
प्यारी प्यारी नाजुक सी थी वह छोटी गौरैया
पहले कितनी सारी आती थी अब तो बस
गिनती की ही रह गई वो भूरी सी चिड़िया
उसे देखने को अब तो नयन तरसते हैं
कभी इधर उधर कभी पेड़ों पर ढूंढते हैं
दिख जाती है कहीं तो ढेरो प्यार उमर आते हैं
उसके चीं चीं की मधुर स्वर मन को भाते हैं
स्वरचित(मौलिक)