” गौरा “
” गौरा ”
कजरारे नैन मन भाए
पूंछ इसकी जमीन छू जाए
हट्टी कट्टी कद काठी की
निराली है मेरी गौरा,
चंचल मन, चिकना तन
मीनू को दूध पिलाए
दूर होते ही मुझसे सहम जाए
प्यारी है मेरी गौरा,
पैने सींग तलवार से भी
चाल चले मोरनी ज्यों
बतख जैसी गर्दन इसकी
दुलारी है मेरी गौरा,
गोलू को प्यार से सहलाए
भूखी हो तब रूदन मचाए
देख मुझे फिर मुंह छिपाए
शर्मीली है मेरी गौरा।
Dr.Meenu Poonia