Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Sep 2023 · 2 min read

#गौरवमयी_प्रसंग

#गौरवमयी_प्रसंग
(राष्ट्रकवि “दिनकर” की जयन्ती पर)
■ लड़खड़ाती राजनीति का सहारा साहित्य
【प्रणय प्रभात】
स्वाधीनता दिवस पर देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू लाल किले की प्राचीर की ओर अग्रसर थे। साथ मे विशिष्ट राजनेताओं सहित राष्ट्रकवि श्री रामधारी सिंह “दिनकर” भी साथ थे।ध्वज मंच की सीढ़ियां चढ़ते हुए पं. नेहरू अचानक से लड़खड़ाए। इससे पहले कि वे गिरते, बलिष्ठ कद-काठी के दिनकर जी ने उन्हें तत्काल संभाल लिया। . नेहरू ने दिनकर जी को तुरंत धन्यवाद देते हुए कहा कि आज उनकी वजह से वे गिरने से बच गए। इस पर दिनकर जी ने तात्कालिक रूप से जो प्रत्युत्तर दिया वो कालजयी है। दिनकर जी ने क्षण भर सोचे बिना तपाक से कहा-
“इसमें धन्यवाद की कोई बात नहीं है पंडित जी! देश की राजनीति जब-जब भी लड़खड़ाएगी, साहित्य उसे इसी तरह संभालता रहेगा।”
धन्य हैं ऐसे महान पुरोधा और उनके अकाट्य विचार। जो कल भी सशक्त थे, आज भी प्रेरक हैं व कल भी प्रासंगिक रहेंगे। बशर्ते बेशर्म और सिद्धान्तविमुख सियसत साहित्य के प्रति कृतज्ञता का आभास कर सके। स्मरण करना हमारा धर्म है और आपका कर्त्तव्य। ताकि समय आने पर हुंकार सकें कि-
“सिंहासन खाली करो, कि जनता आती है।”
अन्यथा भावी पीढियां हमें धिक्कारे बिना न रहेंगी। जिसका संकेत राष्ट्रकवि श्री दिनकर बरसों पहले इन दो पंक्तियों में धरोहर के रूप में देकर गए हैं :-
“समर शेष है, नहीं युद्ध का भागी केवल व्याध।
जो तटस्थ हैं समय लिखेगा, उनका भी अपराध।।”
हालांकि आज हालात कल से उलट हैं। आज सशक्त साहित्य लड़खड़ाती राजनीति को सहारा देने के बजाय उसकी गोद में नज़र आता है। कथित साहित्यकार अपने-अपने नफ़ा-नुकसान का आंकलन करते हुए विरदावली गाते दिखाई देने लगे हैं। अराजकता के नासूर पर चीरा लगाने वाली लेखनी दलदली दलों और नेताओं के महिमा-मंडन व खंडन में जी-जान से जुटी दिखती है। जिन्हें तयशुदा एजेंडे के तहत मीडिया-हाउस मंच मुहैया करा रहे हैं। रिसालों से मंचों तक आग्रह-पूर्वाग्रह हावी है।
तथापि अतीत के गौरवशाली पात्र व उनसे जुड़े प्रसंग आज भी घोर अंधियारे के बीच उजियारे की किरण से प्रतीत होते हैं। जो आज भी हताश जनता को बेहतर कल की पुनरावृत्ति बदतर आज के ख़िलाफ़ आने वाले कल में होने का दिलासा देते हैं। ऐसे प्रसंग शोधार्थियों, विद्यार्थियों के लिए संग्रहणीय व सम्प्रेषणीय भी हैं। शेष के लिए पठनीय व स्मरणीय तो हैं ही। प्रस्तुति का उद्देश्य भी यही है, जिसकी सार्थकता आपकी चेतनापूर्ण सम्मति पर निर्भर है। जय हिंद, वंदे मातरम।।

●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)

1 Like · 159 Views

You may also like these posts

वक़्त हमें लोगो की पहचान करा देता है
वक़्त हमें लोगो की पहचान करा देता है
Dr. Upasana Pandey
"CCNA® Training in London: Become a Certified Network Associate with Cisco"
bandi tharun
कांग्रेस के नेताओं ने ही किया ‘तिलक’ का विरोध
कांग्रेस के नेताओं ने ही किया ‘तिलक’ का विरोध
कवि रमेशराज
चुप
चुप
Dr.Priya Soni Khare
3004.*पूर्णिका*
3004.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बूँदे बारिश की!
बूँदे बारिश की!
Pradeep Shoree
प्यार जताना नहीं आता मुझे
प्यार जताना नहीं आता मुझे
MEENU SHARMA
“Do not be afraid of your difficulties. Do not wish you coul
“Do not be afraid of your difficulties. Do not wish you coul
पूर्वार्थ
संवेदना
संवेदना
Shalini Mishra Tiwari
दुनिया में लोग ज्यादा सम्पर्क (contact) बनाते हैं रिश्ते नही
दुनिया में लोग ज्यादा सम्पर्क (contact) बनाते हैं रिश्ते नही
Lokesh Sharma
मैं और सिर्फ मैं ही
मैं और सिर्फ मैं ही
Lakhan Yadav
_ऐ मौत_
_ऐ मौत_
Ashwani Kumar Jaiswal
हे राम
हे राम
Sudhir srivastava
दर्द सुर्खी है
दर्द सुर्खी है
Manoj Shrivastava
जहां प्रगटे अवधपुरी श्रीराम
जहां प्रगटे अवधपुरी श्रीराम
Mohan Pandey
"चीख उठते पहाड़"
Dr. Kishan tandon kranti
बसंत
बसंत
Dr Archana Gupta
संदेश
संदेश
लक्ष्मी सिंह
मानुष अपने कर्म से महान होता है न की कुल से
मानुष अपने कर्म से महान होता है न की कुल से
Pranav raj
जिसके पास कोई चारा न हो
जिसके पास कोई चारा न हो
Sonam Puneet Dubey
एक हिम्मत, एक उम्मीद जगानी है,
एक हिम्मत, एक उम्मीद जगानी है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मैं सफ़ेद रंग हूं
मैं सफ़ेद रंग हूं
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
किसने क्या खूबसूरत लिखा है
किसने क्या खूबसूरत लिखा है
शेखर सिंह
जिसकी लाठी उसकी भैंस।
जिसकी लाठी उसकी भैंस।
Vishnu Prasad 'panchotiya'
" जिन्दगी क्या है "
Pushpraj Anant
सारे शब्द
सारे शब्द
Shweta Soni
नींद
नींद
Vindhya Prakash Mishra
अपने 'रब' को भी खुद में पा लेते
अपने 'रब' को भी खुद में पा लेते
Dr fauzia Naseem shad
शरद पूर्णिमा - 2024
शरद पूर्णिमा - 2024
Raju Gajbhiye
■ आज की सलाह। धूर्तों के लिए।।
■ आज की सलाह। धूर्तों के लिए।।
*प्रणय*
Loading...