गौपालन अनिवार्य कानून
अभी खाना खाकर द्वार पर लगे पेड़ के नीचे
आराम करने के लिए लेटा ही था
कि तभी मुझे यमराज आता दिखाई दिया
पास आकर उसने मुझे हमेशा की तरह
सिर झुका कर प्रणाम किया।
मैंने कहा कहो प्यारे! कैसे आना हुआ?
क्या मेरा पांच मिनट आराम करना भी
तुम्हें बहुत खटक गया?
यमराज मुस्कराकर बोला
आज ऐसा बिल्कुल नहीं है प्रभु!
आज तो मैं गौमाता के साथ आया हूँ
बस! उन्हें आपके पास तक लाया हूँ
गौमाता आपसे मिलना चाहती हैं
कुछ अपने मन की पीड़ा कहना चाहती हैं ।
मैं उठकर बैठ गया,
गौमाता को हाथ जोड़कर नमन किया
उनके पैर पकड़ चरण वंदन किया
और अपनी बात कहने का निवेदन किया।
गौमाता वेदना भरे स्वर में कहने लगी
वत्स! तुम्हारी दुनिया में आजकल क्या हो रहा है?
हमारा तो भाव ही एक दम गिर गया है
हमारे मान सम्मान का कोई मोल ही
अब जैसे नहीं रह गया है,
लोगों का द्वार हमारे लिए बंद होता जा रहा है
हमें पालने और हमारी सेवा करने वाले
लगातार कम होते जा रहे हैं,
हमारे वंशज दर दर की ठोकरें खा रहे हैं।
जीने के लिए हमें कूड़े करकटों का ढेर
इधर उधर फेंके खाद्य पदार्थ और
सड़ी गली सब्जियों का ही भरोसा रह गया।
भूखे पेट इधर उधर भटकना पड़ रहा है
हमारे सुरक्षित रहने के लिए
जैसे कोई स्थान नहीं रह गया है
जैसे तैसे गर्मी जाड़ा बरसात हमें काटना पड़ रहा है
जब तब बेमौत भी मरना पड़ रहा है
बूचड़खानों में कटकर तुम्हारे ही भाई बहनों का
निवाला भी बनना पड़ रहा है।
धर्म और राजनीति का शिकार भी बनना पड़ रहा है,
ये सब कुछ अब हमसे सहन नहीं हो रहा है।
ये सब सुनकर मैं शर्म से खड़ा रह गया
मुँह से बोल नहीं फूट रहा था,
गौमाता का एक एक शब्द
मुझे खुद से शर्मिन्दा कर रहा था,
क्योंकि उनका कहना भी तो सौ प्रतिशत सही था ।
बीच में ही यमराज टपक पड़ा
क्या हुआ प्रभु! दिमाग का फ्यूज उड़ गया?
आपका दिमाग क्या संज्ञा शून्य हो गया?
क्या गौमाता का स्थान आप सबके दिलों के बजाय
सिर्फ किताबों और पूजा पाठ में ही रह गया?
क्या अब ये आपकी गौमाता नहीं रही?
या तैंतीस कोटि देवी देवताओं से
अब इनका कोई नाता नहीं रहा?
मैंने मुँह चुराकर यमराज से कहा –
नहीं यार ऐसा कुछ भी नहीं है,
शायद आधुनिकता संग बेशर्मी का मोटा परत
हम पर चढ़ गया है,
या हमारी किस्मत हमसे रुठ गई है
तभी तो हम विवेक हीन हो गये हैं
मां बाप के साथ ही अब गौमाता को भी
अपमानित करने का पाप कर रहे हैं,
अब हम औलाद के नाम पर जैसे कलंक हो रहे हैं।
पर अब ऐसा बिल्कुल नहीं होगा
गौमाता की खातिर मैं कुछ न कुछ जरूर करुंगा
राजनीतिक दलों, सामाजिक, स्वयंसेवी संगठनों
और सरकारों से भी बात करुंगा,
अपनी बात मनवाने के लिए धरना प्रदर्शन अनशन
भूख हड़ताल और जान देने की धमकी दूंगा
सारे हथकंडे अपनाऊंगा,
हर परिवार में गौपालन अनिवार्य का कानून
संसद में पास कराने का दबाव बनाऊंगा।
आज से मेरा मकसद बस यही एक है
गौमाता का संरक्षण सम्मान ही
अब से मेरे जीवन का उद्देश्य हो गया है,
मुझे पता है यह सब कुछ आसान नहीं
पर जब इच्छा शक्ति मजबूत हो और
सिर पर माँ का हाथ और आशीर्वाद हो,
तब इस दुनिया में असंभव कुछ भी नहीं है?
इतना सुन गौमाता ने हां में सिर हिलाकर
शायद मेरी बात का समर्थन किया
और मुझे लगा जैसे आशीर्वाद देकर
वापस जाने के लिए चुपचाप कदम बढ़ा दिया।
पर यमराज को मुझे पकाने ही नहीं
और मेरे घर की चाय पीने के लिए छोड़ दिया।
सुधीर श्रीवास्तव गोण्डा उत्तर प्रदेश