गोली
******* गोली ********
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नभ-थल में चल रही गोली,
कानों में गूंजती गोली।
बातें जब ना समझ आती,
तब बोली बोलती गोली।
खूनी जब खेलते होली,
पिचकारी ठोकती गोली।
फांसी पर झूलती टोली,
सीने को खोलती गोली।
क्रान्ति हो शांति पर भारी,
नश्वरता ढूंढ़ती गोली।
वार्ता निष्काम मनसीरत,
लोगों से खेलती गोली।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)