गोरी की होली
हिय मे उमंग भरि,प्रीति की तरँग सँग,
बिन कोऊ रँग,काहे गालन पे लाली है !
काहे सकुचाति, अरु काहे को लजाति,सखि,
पूरे एक बरस के बाद होली आई है !
बरसत हैं रँग,सँग भीजत जो अँग,
भले होत हुड़दंग, गोरी पिय की दुलारी है !
लाल हरे पियरे औ नीले भले होँ रँग,
होली को रँग सब रँगन पै भारी है ! !