गोरी की सुन्दरता की उपमाये –आर के रस्तोगी
लाल टमाटर से गाल है गोरी,सब्जी मंडी क्यों जाऊ
आज दफतर से छुट्टी लेकर,क्यों न मै मौज मनाऊ
हिरणी जैसी आंखे तेरी,क्यों शिकार करने मै जाऊ
आज शिकार घर में करेगे,क्यों जंगल अब मै जाऊ
सुराही सी गर्दन गोरी तेरी,क्यों कुम्हार के घर जाऊ
जब सुराही अपने घर में,क्यों बाहर का पानी मै पाऊ
मोरनी जैसी चाल गोरी तेरी,मोर को तूने लिया लुभाव
मोर अब तेरे घर में नाचेगा,तेरे मन को देगा लुभाव
मोती जैसे दांत है गोरी तेरे,क्यों न इनकी माला बनवाऊ
इसको ही तेरे गले में डाल दूंगा,क्यों दूजा हार मंगवाऊ
भौहें तेरी ऐसी है गोरी तेरी,जैसे धनुष का सुंदर आकार
नैनन से जब तुम तीर चलाओगी,धनुष हो जाएगा बेकार
अधर ऐसे है गोरी तेरे,जैसे संतरे की दो हो मीठी फांक
मन मेरा ऐसा करता है,चुबम्न लू दिल का मिटेगा चाव
चांदी जैसा बदन है गोरी तेरा,सोने जैसे सुनहरे बाल
तेरे कारण मै धनवान बना हूँ,बाकि बने सब कंगाल
आर के रस्तोगी