—!! गौरईया !!–
हर सुबह मेरे जागने से पहले,
.इक आवाज आती थी ……
मुझ को नींदिया से जगाने को…….
इक नन्ही से चिडिया रोज आती थी.!!
….
.उस की ची ची मेरे न को बहुत भाती थी..
.जरा तुम भी पूछो की वो कौन थी…..
.जो घर आँगन में चली आती थी…..
वो थी प्यारी प्यारी गोरिया ….
जो रोज मुझ को बुलाती थी .!!
..बहुत दिनों से अब वो आवाज चेह्चाती नहीं है……
.मुझ को आ आकर जगाती नहीं है…
.क्या हुआ उसको दिल मेरा बेचैन रहता है…
…मेरा मन तो गौरईया के संग रहने लगा है !!
…..
.कोई तो बन गया है शायद दुश्मन इसका……
…..किसी न किसी ने छीना है घरौंदा इसका….
..उस के न आने से मन व्याकुल रहने लगा…
.ऐसा लगने लगा जैसे अपना दूर जाने लगा.!!
.ना जाने क्यूं करते हैं लोग पक्षी पर वार….
..क्या लेता है यह छोटा जीव आके बार बार..
..गौरईया तेरे आने का करता हूँ इन्तेजार…..
.मेरा मन न किया कर बेकरार.!!
…
.आजा फिर से मेरे आँगन में..
.तेरी ची ची सुनाने को कान बेचैन होने लगे…..
.दुआ करून की तू जल्दी से आये…
.वो सुबह सुबह नन्ही गौराई मुझ को जगाये ..
अजीत कुमार तलवार
मेरठ