गोरखपुर ” नेता “
खुशहाली शब्द चुनावी वादों में था ,
हत्या, लूट नेताजी के इरादों में था ,
मेरा घर बचे , मेरे बच्चे पढ़ें ,
जान की भीख माँगता वोटर लाइनों में था ,
इस शहर के अमीरों ने हवा भी खरीद डाली ,
मेरी हत्या का जिम्मेदार वो नेता ही था ।
शिक्षा , उच्चशिक्षा के नाम पर लूटते हैं नेता ,
शिक्षा बेचने का ठेका तो उसके भतीजे को मिलना था ।
पक्ष – विपक्ष पति पत्नी हैं …
उन्हें तो हर निशा एक होना था ।
माणिक्य बहुगुणा