गोपी दर्शन प्यासी हैं
रम गये कान्हा राज पाट में
गोपी दर्शन – प्यासी हैं ,
मिलना कैसै होगा उनसे
जिनकी वो अभिलाषी हैं ।
सखा तुमको समझा कान्हा
योग हमें सिखाओ न ,
कुछ हमरे मन की सुन लो
कुछ अपनी हमें सुनाओ न ।
अर्पित तुमको प्रेम सुमन हैं
करते क्यों स्वीकार नहीं ,
आ जाओ फिर प्रेम वन में
गोपी तुम्हें पुकार रहीं ।
राजयोग ये तेरा कान्हा
हमको नहीं लुभाता है ,
मुरलीवाला रूप वो तेरा
हर घर पूजा जाता है ।
उसी रूप के संग में गिरधर
फिर मधुवन आ जाओ न ,
दर्शन – प्यासे हैं जो नैना
तृप्त उन्हें कर जाओ न ।
डॉ रीता
आया नगर , नई दिल्ली