Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jun 2021 · 1 min read

गोपी छंद,”बनाकर लक्ष्य बढ़ो आगे”

“गोपी छंद”

तप्त सूरज की किरणें हों।
अँधेरे चाहे जितने हों।।
सवेरा है तब जब जागे।
बनाकर लक्ष्य बढ़ो आगे।।

प्रेरणा का दामन पकड़े।
हौंसलों की हिम्मत जकड़े।।
राह में रोड़े जो आये।
हटाते चल बिन घबराये।।

निखरने को आते तपने।
जागती आँखों में सपने।।
चोट खा स्वर्ण बने गहना।
खुशी से तब जग ने पहना।।

सुगम जो मार्ग दिखाते हैं।
वही नायक कहलाते हैं।।
कार्य में उत्सुकता होती।
श्रेष्ठ जिसमें दृढ़ता होती।।

■■■■■■■■
गोपी छंद विधान-
यह मापनी आधारित प्रत्येक चरण पंद्रह मात्राओं का मात्रिक छन्द है।
आदि में त्रिकल (21 या 12),अंत में गुरु/वाचिक(२२ श्रेष्ठ)अनिवार्य है।
आरम्भ में त्रिकल के बाद समकल, बीच में त्रिकल हो तो समकल बनाने के लिए एक और त्रिकल आवश्यक होता है।
इसका वाचिक भार निम्न है-
3(21,12)2 2222 2(s) -15 मात्राएँ।
चूंकि यह मात्रिक छन्द है अतः गुरु को दो लघु में तोड़ा जा सकता है।
दो-दो या चारों चरण समतुकांत होने चाहिये।
●●●●●●●●
शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
तिनसुकिया, असम

Language: Hindi
2 Likes · 4 Comments · 834 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
I don't listen the people
I don't listen the people
VINOD CHAUHAN
याद आती हैं मां
याद आती हैं मां
Neeraj Agarwal
शस्त्र संधान
शस्त्र संधान
Ravi Shukla
******प्यारी मुलाक़ात*****
******प्यारी मुलाक़ात*****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
कलेवा
कलेवा
Satish Srijan
"भुला ना सकेंगे"
Dr. Kishan tandon kranti
बेइमान जिंदगी से खुशी झपट लिजिए
बेइमान जिंदगी से खुशी झपट लिजिए
नूरफातिमा खातून नूरी
बदल चुका क्या समय का लय?
बदल चुका क्या समय का लय?
Buddha Prakash
कुछ तो गम-ए-हिज्र था,कुछ तेरी बेवफाई भी।
कुछ तो गम-ए-हिज्र था,कुछ तेरी बेवफाई भी।
पूर्वार्थ
3775.💐 *पूर्णिका* 💐
3775.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
"" *सिमरन* ""
सुनीलानंद महंत
ग़ज़ल --
ग़ज़ल --
Seema Garg
एक प्रार्थना
एक प्रार्थना
Bindesh kumar jha
सोशल मीडिया
सोशल मीडिया
Pankaj Bindas
मैं तुम और हम
मैं तुम और हम
Ashwani Kumar Jaiswal
सृष्टि का कण - कण शिवमय है।
सृष्टि का कण - कण शिवमय है।
Rj Anand Prajapati
फिर से आंखों ने
फिर से आंखों ने
Dr fauzia Naseem shad
मेघों का मेला लगा,
मेघों का मेला लगा,
sushil sarna
ये उम्र के निशाँ नहीं दर्द की लकीरें हैं
ये उम्र के निशाँ नहीं दर्द की लकीरें हैं
Atul "Krishn"
लोकतंत्र में —
लोकतंत्र में —
SURYA PRAKASH SHARMA
🍀 *गुरु चरणों की धूल*🍀
🍀 *गुरु चरणों की धूल*🍀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
हमें लगा  कि वो, गए-गुजरे निकले
हमें लगा कि वो, गए-गुजरे निकले
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
समंदर
समंदर
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
फिर मिलेंगें
फिर मिलेंगें
साहित्य गौरव
कुछ तो बाकी है !
कुछ तो बाकी है !
Akash Yadav
स्कंदमाता
स्कंदमाता
मधुसूदन गौतम
#अभी_अभी
#अभी_अभी
*प्रणय*
बोलता इतिहास 🙏
बोलता इतिहास 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
*लव यू ज़िंदगी*
*लव यू ज़िंदगी*
sudhir kumar
Loading...