गोपी छंद “सकल जीवन को रस से भर”
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शुक्र/शनि(२४/२५जून२०२२)
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【छंद-गोपी】
परिचय-सम मात्रिक छंद,
मात्रा-१५,चरण-४,
चारणारंभ-त्रिकल,चरणान्त-गुरु
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छंद यह गोपी है अनुपम।
गेयता में लय है उत्तम।।
मधुर वाणी में हर फन से।
सभी गायें अपने मन से।।(१)
सकल जीवन को रस से भर।
अभी चिंता से तौबा कर ।।
मनाओ नित ही खुशियां अब।
करेगा तेरा सब कुछ रब।।(२)
सहजता से ही तू अब चल।
वही तुझको दे नित संबल।।
वनावट जब भी होती है।
स्वत: मूलों को खोती है।।(३)
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अटल मुरादाबादी