Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Dec 2020 · 1 min read

गोदन-टैटू

गोदन-टैटू
^^^^^^^^^
आधुनिकता के इस दौर में
इसका भी आधुनिकीकरण हो गया है,
गोदन तो फिर भी ठीक है
टैटू ने तो हमें नंगा कर दिया है।
वो समय और था
जब महिलाएं पतियों का नाम
हाथों में गुदवाती थीं,
क्योंकि तब उन्हें पति का
नाम न लेंने की ही
सीख दी जाती थी,
तब गोदन दिखा कर ही
वो पति का नाम बताती थीं।
तब आज की तरह का
समय भी नहीं था,
तब सुख आये दु:ख
उसी के साथ
जीवन गुजार लेती थीं।
आज तो सब कुछ
अनिश्चित हो गया है,
अब तो ऐसा भी होता
दिख जाता है,
एक,दो,तो छोड़िए
तीसरे चौथे के साथ भी
गुजारा नहीं हो पाता है,
क्योंकि बहुत बार अहम
आड़े आ जाता है।
ठीक वैसे ही टैटू का नशा छा रहा है
टैटू के नाम पर इंसान
शरीर काला करवा रहा है,
हद तो तब हो रहा है
कि इंसान खुद से
बड़ी बेहयाई से खुद ही
नंगा हो रहा है,
मार्डन कहलाने का लोभ
छोड़ नहीं पा रहा है।

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 192 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नारी
नारी
Bodhisatva kastooriya
हसरतों के गांव में
हसरतों के गांव में
Harminder Kaur
💐प्रेम कौतुक-512💐
💐प्रेम कौतुक-512💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Sometimes you have to
Sometimes you have to
Prachi Verma
भूमकाल के महानायक
भूमकाल के महानायक
Dr. Kishan tandon kranti
रक्षाबंधन
रक्षाबंधन
Rashmi Sanjay
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
लोकतंत्र में शक्ति
लोकतंत्र में शक्ति
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
*प्रकृति-प्रेम*
*प्रकृति-प्रेम*
Dr. Priya Gupta
सोचें सदा सकारात्मक
सोचें सदा सकारात्मक
महेश चन्द्र त्रिपाठी
तुम्हारी कहानी
तुम्हारी कहानी
PRATIK JANGID
ख़्वाब सजाना नहीं है।
ख़्वाब सजाना नहीं है।
Anil "Aadarsh"
मैंने जला डाली आज वह सारी किताबें गुस्से में,
मैंने जला डाली आज वह सारी किताबें गुस्से में,
Vishal babu (vishu)
तुम न समझ पाओगे .....
तुम न समझ पाओगे .....
sushil sarna
■ आदिकाल से प्रचलित एक कारगर नुस्खा।।
■ आदिकाल से प्रचलित एक कारगर नुस्खा।।
*Author प्रणय प्रभात*
मुझे मालूम है, मेरे मरने पे वो भी
मुझे मालूम है, मेरे मरने पे वो भी "अश्क " बहाए होगे..?
Sandeep Mishra
3178.*पूर्णिका*
3178.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ : दैनिक रिपोर्ट*
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ : दैनिक रिपोर्ट*
Ravi Prakash
मैं लिखता हूँ
मैं लिखता हूँ
DrLakshman Jha Parimal
पानी से पानी पर लिखना
पानी से पानी पर लिखना
Ramswaroop Dinkar
🥀 *अज्ञानी की कलम* 🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम* 🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
देख कर उनको
देख कर उनको
हिमांशु Kulshrestha
किसे फर्क पड़ता है
किसे फर्क पड़ता है
Sangeeta Beniwal
काश.! मैं वृक्ष होता
काश.! मैं वृक्ष होता
Dr. Mulla Adam Ali
दिल
दिल
Neeraj Agarwal
हिंदी दोहा बिषय- बेटी
हिंदी दोहा बिषय- बेटी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ज़िंदगी ज़िंदगी ही होतीं हैं
ज़िंदगी ज़िंदगी ही होतीं हैं
Dr fauzia Naseem shad
दंभ हरा
दंभ हरा
Arti Bhadauria
भटक रहे अज्ञान में,
भटक रहे अज्ञान में,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मुहब्बत कुछ इस कदर, हमसे बातें करती है…
मुहब्बत कुछ इस कदर, हमसे बातें करती है…
Anand Kumar
Loading...