गॉधी शरणम् गच्छामि
जब हिसां से जनमानस, कॉप-सिहर हैं जाता।
हल गॉधी सिद्धांत अहिसां ही नजर है आता।।
जब कही मलिन,दूषित,गन्दा हर मंजर हैं आता।
हल गॉधीजी का ही स्वच्छता शुभंकर है आता।।
जब भी अन्यायी,असत्य शासन जर्जर हो जाता।
हल गॉधी का सत्याग्रह ही बस निर्झर हो आता।।
जब विश्वपटल पर युद्ध-परमाणु का है मंडराता।
हल-विश्वास गॉधी के शांति-अहिंसा में गहराता।।
जब पीढ़ी,पृथ्वी,पर्यावरण को प्रदूषण हैं सताता।
हल गॉधी का ‘सादा जीवन उच्च विचार’ आता।।
जब अन्याय,मनमानी का विरोध होता जताना।
हल गॉधी का शान्तिपूर्ण-असहयोग ही हैं माना।।
विश्व पटल पर भारत का संदेश हो सुनाना।
हल गॉधी के सिद्धांत संग लेकर होता जाना।।
जिसने गीता,गौतम,बाईबिल को हो पहचाना।
उसने मर्म गॉधीवाद का सही अर्थो में जाना।।
राष्ट्रपुत्र,राष्ट्रपिता,राष्ट्रनिधि की सीमित सीमाएं।
युगपुरूष सम्मान में विश्वव्यापी लगी प्रतिमाएं।।
अब गॉधी व्यक्ति नही,यह एक विश्व विचार है।
बहुबाधा का निवारण,मानवता का आधार है।।
आओ वैष्णव जन बन हम पीर परायी जानें।
चलें पथ में प्रेम,सत्य-अहिंसा महाप्रण निभानें।
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महात्मा गॉधीजी और लालबहादुर शास्त्रीजी की पुण्यतिथि के सुअवसर पर श्रद्धापूर्ण सादर समर्पित।
2 अक्तूबर.© जीवनसवारो