गैरो मे कहॉ दम है ..अपने ही चोट दे जाते हैं
क्या हुआ कुछ वक्त के थपेड़ो ने कमजोर कर दिया
टूटा तो वो पहले ही था हालातों ने ढेर कर दिया
गुमा होता है कि जिंदगी मुस्कराएगी
एक बार फिर तरो ताजा हो जाएगी
ताउम्र शायद ये हसरत रह जाएगी ……
कि जिंदगी फिर से मुस्कुराएगी ..
क्यूं कुछ जख्म नासूर बन जाते है
क्यूं कुछ रिश्ते बनते बनते बिगड़ जाते है
इसॉ की शक्ल मे क्यूं भेड़ बन जाते है
खून के रिश्ते ही रिश्तो का खून कर जाते है
गैरो मे कहॉ दम है अपने ही चोट दे जाते है