गूंगी गुड़िया
रसोई में काम करते हुए गीता सुन रही थी. चंद महीनों पहले ही ब्याह कर आई हुई उसकी देवरानी वीना से भी वही सब कहा जा रहा था जो उससे कहा गया था. वह दरवाज़े पर खड़ी होकर देखने लगी.
वीना कह रही थी “मम्मी जी पापा ने आपकी सारी मांगें पूरी की हैं. अब वह पैसे कहाँ से लाएंगे. अभी मेरे भाई बहन की ज़िम्मेदारी है उन पर. मैं उनसे कुछ नही मांगूंगी.”
उसकी सास ने अपने बेटे इंदर की तरफ उलाहना से देखा.
इंदर बोला “तुम मम्मी से बहस मत करो. वही करो जो वह कह रही हैं.”
वीना ने दृढ़ता के साथ कहा “मम्मी जी गलत बात कर रही हैं. मैं पापा से कुछ नही कहूँगी.”
उसका इस तरह बोलना इंदर को बुरा लगा. वह हाथ उठा कर उसकी ओर लपका. गीता ने उसका हाथ बीच में ही पकड़ लिया. सब दंग थे कि इस गूंगी गुड़िया में यह हिम्मत कहाँ से आई.