“गूंगी ग़ज़ल” के
“गूंगी ग़ज़ल” के
“दुर्बल शेर” भी
गुर्राते हैं अक़्सर।
शायद अपनी पीड़ा बताने को।
मिन्नतें करते होंगे ज़रूर
“रहम” करने की।।
■प्रणय प्रभात■
“गूंगी ग़ज़ल” के
“दुर्बल शेर” भी
गुर्राते हैं अक़्सर।
शायद अपनी पीड़ा बताने को।
मिन्नतें करते होंगे ज़रूर
“रहम” करने की।।
■प्रणय प्रभात■