गूँगे और गुड़ का स्वाद.
यह देश कुछ चालाक/शातिर लोगों का है.
यहाँ पर बुद्ध बुद्धू समझे जाते है
अधिकतर लोग जानते है.
समझता कोई कोई है.
और जो जानता है समझता है वो.
चाहते हुये भी समझा नहीं सकते.
क्योंकि पुरातन काल से हम विशेषज्ञ से मशवरा नहीं करते.
आपके साथ समस्या चाहे,स्वास्थ्य, शिक्षा या अर्थव्यवस्था को लेकर हो.
नाकामयाबी की वजह चाहे कुछ भी हो.
वह आत्मावलोकन/आत्ममंथन नहीं करता.
सबकी विचारधाराओं को हैक करके आस्था/विश्वास को नियमित किया गया है.
उसकी वजह माइंड-सैट यानि ड्राफ्टिंग.
यानि उससे बाहर आप सोच ही नहीं सकते.
और आप निश्चित ही किसी पाखंडी के ग्रास बनोगे. ज्योतिष के विशेषज्ञ ग्रहदोष आदि की शांति में लगोगे.
और फँसे के फँसे रह जावोगे.
मूलभूत तथ्यों के अवलोकन से फिर भी वंचित रहोगे.
आप मुक्त नहीं हो सकते.
क्योंकि आपकी ईकाई “सोच और विचार” को ड्राफ्ट किया गया है.
आपका आस-पड़ौस भी आप जैसों का है
अब जाये तो जाये कहाँ…
to be continued…..