गुज़रे पल से।
वक्त मलहम है यूँ तो हर ज़ख्म के लिए।
क्या हुआ गर ऐसे दूर वह हमसे हो गये है।।
इतना भी वो हमको यूँ याद आतें नहीं है।
जो अब ज़िंदगी के गुज़रे पल से हो गये है।।
✍✍✍ताज मोहम्मद
वक्त मलहम है यूँ तो हर ज़ख्म के लिए।
क्या हुआ गर ऐसे दूर वह हमसे हो गये है।।
इतना भी वो हमको यूँ याद आतें नहीं है।
जो अब ज़िंदगी के गुज़रे पल से हो गये है।।
✍✍✍ताज मोहम्मद