गुस्सा
क्रोध गुस्सा नाराज़गी नहीं ये है तेरी सज़ा की फरमानगी…….
लाड लड़ाती है प्रेम जताती,देती तेरी उड़ान को परवाज़ मां
जब भी गिरता लड़खड़ाता बच्चा, लेती उसे संभाल मां
अगले नये कदम पर कहती, लेना कदम संभालके
पर जब बच्चे उस ममता को हल्के में ले लेते हैं
तभी समझ जाती मां कि बच्चे विक्राल रूप के चहेते हैं
करतीं गुस्सा नाराज़ होती फिर थप्पड़ दो लगाती वो
क्रोध से या प्यार से बस नया सबक सिखाती वो
लाख समझाया प्रकृति मां ने
पर तू मानव नहीं समझ पाया।
ग्लोबल वार्मिंग गलती तेरी और
तपती धरती, संभल मां को गुस्सा आया।
भूकंप सुनामी बाढ़ सूखा यह सब गुस्से का फल है
करता आया निस छल तू, पर प्रकृति मां निश्छल है
संतान कर्तव्य निभाने में तू हुआ मनुष्य विफल है
बहुत तबाही मचाई तूने वन विटप उजाड़े।
अब मां वसुधा हुई क्रोधित,तुझे लेगी हाथ आड़े।
नीलम शर्मा