गुस्सा करते–करते हम सैचुरेटेड हो जाते हैं, और, हम वाजिब गुस्
गुस्सा करते–करते हम सैचुरेटेड हो जाते हैं, और, हम वाजिब गुस्सा करना भी छोड़ देते हैं, क्योंकि हमारे गुस्से को उर्वर जमीन निरंतर उपलब्ध होती है और हम थक कर गुस्सा करने के अपने कर्तव्य के प्रति उदासीन हो जाते हैं।