गुस्ताखियां दिल की
दिल गुस्ताखियां करने लगा है
मेरे लाख समझाने पर भी मचलने लगा है।
जमाने भर के जिक्र समेटे अपने जहन में,
अब कुछ – कुछ मनमनानियां अपनी भी करने लगा है।
दिल गुस्ताखियां करने लगा है।।
सनम के एक दीदार पर ये मगरूर हो गया
एक बार हसरत भरी निगाहों से देखा तो इश्क कबूल हो गया ।
अब आंखों में उनके ख्याव सजोने लगा है
शायद धड़कनों पर भी उनका दबदबा होने लगा है
दिल गुस्ताखियां करने लगा है ।।
शुरू हो चुका मिलने मिलाने का सिलसिला,
वेबजह रुठने मानने की अदा,
कुछ खबर हि न हुई कब ये सूरज ढल गया
वेशुध मोहबब्त में होकर अपना वजूद खोने लगा है ।।
दिल गुस्ताखियां करने लगा है ।।
अब रुख़ बदल गया उनके यकीन का,
या शौक बदल गए उनकी दिल्लगी के ,
बेरुखी देख उनकी निगाहों की,
ये दिल्लगी भूल जानी पड़ेगी ,
नादां दिल समझने लगा है ।।
दिल गुस्ताखियां करने लगा है ।@
✍️ रश्मि गुप्ता@ ray’s Gupta