जो कभी रहते थे दिल के ख्याबानो में
दुनियां का सबसे मुश्किल काम है,
गैरों की भीड़ में, अपनों को तलाशते थे, ख्वाबों के आसमां में,
#वचनों की कलियाँ खिली नहीं
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
हम भी कहीं न कहीं यूं तन्हा मिले तुझे
धिन धरणी मेवाड़ री, धिन राणा रौ राज।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
चीजें खुद से नहीं होती, उन्हें करना पड़ता है,
क्या मिला है मुझको, अहम जो मैंने किया
आज के दौर में मौसम का भरोसा क्या है।
लपवून गुलाब देणारा व्यक्ती आता सगळ्यांसमोर आपल्या साठी गजरा
मैं पलट कर नही देखती अगर ऐसा कहूँगी तो झूठ कहूँगी
दुआओं में शिफ़ा है जो दवाओं में नहीं मिलती
Abhishek Shrivastava "Shivaji"