गुल्लक
गुल्लक गुल्लक गुल्लक,
मेरे पास है एक गुल्लक,
छोटी-सी प्यारी-सी गुल्लक,
बचत बैंक है मेरी ये गुल्लक।
गुल्लक गुल्लक गुल्लक,
माम्मी देती पापा देते,
सिक्के पैसे थोड़े-थोड़े,
गुल्लक में सब जमा है करते।
गुल्लक गुल्लक गुल्लक,
एक दिन गुल्लक भर जाती,
आती है तब तोड़ने की बारी,
घंटो तक गिनती है जारी।
गुल्लक गुल्लक गुल्लक,
भिन्न-भिन्नआकर के,
मिलते है बाजार में,
पिगी बैंक नया एक ला दो।
रचनाकार –
✍🏼✍🏼
बुद्ध प्रकाश
मौदहा हमीरपुर।