गुलामी के कारण
परबुधिया रिहिस अनपढ किसान।
परदेशिया करा बदय फट मितान।।
जेकर फल पाइस देश गुलाम
दुख भोगिस अनपढ़ किसान
पहिली जमाना चुतिया बनय
खासअनपढ़ रहे गा किसान
आंखी मुंद के दस्तखत करय
नइ लेवय गा थोरको हिसाब
आंखी रही अंधरा राहय घलो सियान।
विश्वास करय अऊ फट बदय मितान।।
पहिली जमाना चुतिया बनय
अनपढ़ रहय जम्मो किसान।
नइ छोड़य बैरी मन गा सउहे
खुद अपन बंदे राहय मितान।।
धीरे-धीरे वोमन जान डरिस
सनातनी के सुघ्घर बेवहार।
फुट डार के तब राज करिस
तब भारत होइस गा गुलाम।।
भारत के अंदर सोना चांदी
सनातन के खजाना हे ज्ञान
जला दीस ,चोरा लिस हमर
रामायण गीता सनातन बेद पुरान।
परबुधिया रिहिस अनपढ किसान ।।
डॉ विजय कुमार कन्नौजे अमोदी आरंग ज़िला रायपुर छ ग