गुलामी क़बूल नहीं
हर ऐरे-गैरे को
हर नत्थू खैरे को
देनी सलामी क़बूल नहीं,
हमें गुलामी क़बूल नहीं
किसी भी हाल में
किसी भी शर्त पर
अपनी नीलामी कुबूल नहीं,
हमें गुलामी क़बूल नहीं…
(१)
तुम एक हिंदू राष्ट्र बनाओगे
इसे मनुस्मृति से चलाओगे
सती प्रथा और छुआछूत की
फिर यहां सड़ांध फैलाओगे
आज के दौर में
कोई सड़ी-गली
सोच बचकानी कबूल नहीं,
हमें गुलामी क़बूल नहीं…
(२)
तालीम और रोज़गार का
सभी बराबर मौक़ा पाएंगे
मेहनत और काबिलियत से
सभी अपना हिस्सा पाएंगे
पहले की तरह
यहां चंद फिरकों की
अब हुक्मरानी क़बूल नहीं,
हमें गुलामी क़बूल नहीं…
(३)
क़ायम करेंगे नई मिसालें
हम विज्ञान और तकनीकी में
किसी से पीछे नहीं रहेंगे
खुशहाली और तरक्की में
दुनिया के
किसी भी मंच पर
देश की बदनामी क़बूल नहीं,
हमें गुलामी क़बूल नहीं…
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Shekhar Chandra Mitra
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