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2 Dec 2017 · 1 min read

” गुलाब “

हाइकु

कांटों में पला ,
बिखेरी गन्ध ऐसी ,
मन को छुआ !!

प्यारी रंगत ,
अनूठी है निराली ,
बांधे है सदा !!

खिलखिलाये ,
चमन , माली , हम ,
है आकर्षण !!

बिखरकर ,
टूट कर , महको ,
कहना रहा !!

शीश देवों का ,
गलहार औ वेणी ,
मरघट भी !!

शुरू से अंत ,
सभी के काम आना ,
खुशियां रही !!

बृज व्यास

Language: Hindi
548 Views
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