गुलाब
हिंदी साहित्य प्रेमियों को सादर प्रणाम🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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मैने देखे फूल गुलाब के
सुन्दर अच्छे लगे मुझको
कालिया भी अच्छी थी
खुशबु भी महकी थी
रोम रोम में मेरे तो
उनको पाने की इच्छा थी
पहला प्रयास किया मैने तो
काँटा मेरे चुब गया
लाल रक्त से मेरा हाथ
लहू लहान हो गया
दुसर्रे प्रयास मै ही
एक कली मुझे मिल गयी
उस को पाकर मेरे मन की
अभिलाषा अब पूर्ण हुई
नेहरू जी बन निकला
मै तो पूरे बाज़ार मै
मेरा तन मन महक रहा हैं
खुशबु कि भरमार से
मैं भी महका दिल भी महका
भूल गया सब काम को
मैने अपना मोबाइल निकाला
सेल्फी ली बड़ी शान से
उस को पाकर मेरे मन मै
और तमन्ना जाग गई
देश भक्त बन कर या तो
कुर्बानी दे दु आपनी जान की
भारत माता के खातिर मै तो
अपनी जान गवां दूँगा
शहीद कहलाने का मौका
मुझको तो मिल जायेगा
एक लड़की को देखा तो
पल मै मूड बदल गया
उस के पीछे पीछे मै तो
मजनू बन कर चल दिया
धीरे धीरे ओ चलती तो
धीरे धीरे मे चला
प्यार का मेरे मन मे
एक नया दीप जला
इजहार करने के लिए
फूल उसको दे दिया
उसने भी मुस्करा कर मुझको
आई लव यू कह दिया
इक पल भी नही रह सकता
उसके बिना संसार मे
शादी कर के घर बसा लू
ऐसा करू विचार मे
उसके भाई ने आकर मेरे
दो चार जूते मार दिये
सिया राम की पूजा करता
तो तर जाता संसार से
मति मेरी मर गई थी
उलझा ऐसे जाल मै
करियर मेरा बिगड़ गया
दो कोड़ी के काम मे
मंदिर जा कर प्रभु से बोला
अब तो माफ करो मुझको
मे तो हूँ अज्ञानी बालक
मुझ पर अब ध्यान धरो
चरण कमल का लिया आसरा
मुझको अब माफ करो
फूल तोड़ कर सीधा अब मे
मंदिर मे ही लाऊँगा
मात पिता की बात मानकर
मन मे शिक्षा का दीप जलाऊंगा
संत सनातन धर्म के खातिर
अपनी जान गवां दुगा
जयसिया राम🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
जय हिन्द
जय भारती
दूसरा प्रयास किया है धीरे धीरे सुधार होगा कुछ गलत हो तो आप अनुभवि हो बता देना 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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