गुलाब ने कहा…!
पन्नों के तह में दफ्न मुरझाए गुलाब ने कहा!
वो आज भी है ख्वाबों में मेरे ख़्वाब ने कहा!
मुहब्बत यूँ रुसवा हो गयी तिजारत बन के!
उन सदियों से इन लम्हों के हिसाब ने कहा !
हुस्न हो तो मगरूर हो जाना लाजमी सा है!
इशारों ही इशारों में मुझे ये महताब ने कहा !
मेरे खतों को अब वो जला डालते हैं शायद!
ऐसा जो आया न कभी उस जवाब ने कहा !
दर्द है आशिकी का, इसकी कोई दवा नहीं!
पैमाने के आख़िरी कतरा-ए-शराब ने कहा !
#Lafzdilse By Anoop Sonsi