गुलाब जामुन
गुलाब जामुन का नाम सुनते ही सभी के मुँह में पानी आ जाता है, फिर उसकी तो उम्र ही अभी कुछ 14 -15 वर्ष की रही होगी , वो कितनी ही बार अपने मन को मारकर समझाता है । रोज स्कूल के लिए पद यात्रा कोई 3 किलोमीटर जाना और इतने ही किलोमीटर वापिस आना । रोज रोज सुठालिया रोड की पतली पतली गलियों से निकलकर महाकाल के गुलाब जामुन वाली दुकान के सामने से निकलता है, जिसके गुलाब जामुन की महक दूर से ही आ जाती थी किंतु यह बालक जिसके पास गुलाब जामुन खाने के पैसे है, किंतु खाता नही, अपने मन को ही समझाता है, क्योंकि वह एक एक रुपये का मूल्य जानता है, की उसके घर वाले कैसे कमाते है । कही बार उसके कक्षा साथी कक्षा में उन गुलाब जामुन की तारीफ करते रहते थे, किंतु वह केवल सुनता रहता था । एक दिन आखिर उसकी इच्छा होई गयी कि आज गुलाब जामुन खा ही लेते है, कब तक वह 14 वर्षीय बालक अपने मन को मारता , जबकि बड़े बूड़ो का मन ही खाने के मामले में नियंत्रित नही रहता है । आज वह बालक गुलाब जामुन खाने के लिए अपने मन को कड़ा करके चला ही गया । रास्ते भर सोचते रहा कि गुलाब जामुन बड़े मीठे होंगे, आखिर दुकान पर पहुँच ही गया, किंतु फिर सोचा कि इतने पैसों में एक नया पेन आ जायेगा , कब तक उस 3 साल पुराने पेन से लिखता रहूँ, अब तो वह थोड़ा टूट सा भी गया । आखिर मन की इस कसमकश में की गुलाब जामुन खा लू या पेन ले लू, आखिर मन को समझा कर पेन लेकर धीरे धीरे वापिस ब्यावरा शहर की सुठालिया रोड वाली गलियों में से कही ओझल हो गया ।।।
(मन की गहराई में छुपी एक स्मृति ….?)
।।।जेपीएल।।।