गुलाब और काँटा
गुलाब और काँटा
खूबसूरती की मिसाल हूँ मैं I
प्रेमिकाओं के हाथों का ताज हूँ मैं I
गुलाबी रंग की त्वचा मेरी ,
बेमिसाल हूँ मैं I
धरती की भूमिका बढ़ाता ,
एक गुलाब हूँ मैं I
मुझमे बेढंग-सा , मेरे संग का
बेल की भाँति लिपटा ,
जहरीले ढंग का , काँटा भी जाना जाता है I
मेरी खूबसूरती पर अंधकार ,
उसे माना जाता है I
आखिर यह तो सच नहीं
जो दुनिया इसे कहलाती है
बेगुनाह बेचारे को ,
दर्दनाक ठहरती है I
यह मसीहा मेरा , जान मेरी बचाकर
खुद शहीद हो जाता है I
और इसलिए गुलाब और काँटे का रिश्ता अनोखा माना जाता है I