गुलाबो
गुलाबो आ जा अंदर… अब कब तक बाहर बैठे रहेगी शाम हो गई है गुलाबो की भाभी सुलभा ने अंदर से आवाज दी।हाँ भाभी आती हूँ..लेकिन फिर वो अपने आप में कहीं खो गई थी।
सोना ने कल कितनी अच्छी चुड़ी पहनी थी और मेंहदी लगे हाँथ कितने अच्छे लग रहे थे।उसका भी मन होता है वो भी चुड़ी पहने मेंहदी लगाये पर उसे तो कभी याद ही नहीं उसने कब चुड़ी पहनी हो या मेंहदी लगायी हो ।
गुलाबो आ जा…. सुलभा ने फिर आवाज दी तो जैसे वो नींद से जागी और अंदर भागी।गुलाबो.. तु भी क्या पुरा दिन खोई रहती है कुछ बात है तो बोल मुझसे।नहीं भाभी बस ऐसे ही इतना कहकर वो फिर खो गई।सुलभा सब समझ रही थी वो भी पुरानी यादों में खो गई…
गुलाबो सिर्फ पाँच साल की थी तभी वो शादी कर के आई थी शादी क्या शादी तो उसकी भी छह साल में हो गई थी हाँ गौना कराकर वो आई थी! चौदह बरस की रही होगी वो भी!गुलाबो को तो उसने गोद में खिलाया था!सात साल की होने पर गुलाबो की भी शादी हो गई थी और उस बेचारी को कुछ पता भी न चला था!दुल्हा दस साल का था शादी तो हो गई थी और सब चले भी गए थे पाँच साल बाद गौना होगा कहकर।
पाँच साल क्या पाँच महीने बाद ही खबर आई थी की दामाद जी की तेबीयत ठीक नहीं है! शहर लेकर गए हैं, सब देखने भी गए थे !पर सब बरबाद हो चुका था !गुलाबो बाल विधवा हो चुकी थी।जिसे अभी शादी का मतलब भी न पता था वो विधवा।गुलाबो जब भी चुड़ियाँ पहनने और मेंहदी लगाने को बोलती सब से यही सुनती अब किसके लिए लगाएगी तु।उसे तो कुछ याद ही नहीं पर मन मसोस कर रह जाती थी बेचारी
मेरे पति की नौकरी शहर में लग गई तो मेरा आना शहर हो गया तो उसे यहां लेकर आ गई उस माहौल से दूर।अब तो गुलाबो बीस साल की है इतनी सुन्दर की एक नजर में सबको भा जाती है।इतने सालों से उसे चुड़ी और मेंहदी की ललक अधुरी है सही है हर लड़कियों को देखकर उसका भी तो मन होता ही होगा आज फिर वो इसलिए उदास थी,.. नहीं अब नहीं उसे कुछ करना ही होगा।जिसे शादी का मतलब भी न पता उसे पुरी जिंदगी अकेले.. नहीं वो नहीं रहने देगी उसे ऐसे।
भाभी रोटी बना दूं..उसकी तंद्रा टूटी।हाँ-हाँ अभी आई चल साथ में बनाते हैं जल्दी हो जाएगी।बाबुजी इस बार आएंगे तो बात करूगी, उसे भी तो जीने का हक है जिसे जाना ही नहीं उसके लिए पुरी जिंदगी अकेले तो नहीं गुजार सकती !आज माँ,बाबुजी सब हैं पर कल,मैं अपने बच्चों में मगन हो जाऊंगी पर इसको अगर मेरे बच्चों ने नहीं इज्जत दी तो नहीं नहीं इसे इसके हक की खुशी मिलनी चाहिए।
बाबुजी इसबार आप कितने दिनों के बाद आऐं हैं आप से मुझे कुछ बात करनी है,अगर आप बुरा न माने तो?”हाँ बोल न” बाबुजी ने कहा।आपने मुझे अपनी बेटी समझा मैंने भी गुलाबो को अपनी बेटी की तरह पाला है,आज उसे इस हालत में नहीं अब देख सकती मैं चाहती थी अगर आप इजाजत दें तो हम सब दूबारा उसकी जिंदगी बना सकते है।सुलभा ने अपने मन की सारी बातें बताई।पर बहु “उसके बारे में जान कर कौन शादी करेगा”? तु तो जानती है।हाँलाकि हम सब भी तो बस यही सोचते हैं हमारे बाद इसका क्या होगा बाबुजी ने बोला।
बाबुजी बस आप हाँ कह दीजिये बाकी मैं देख लुंगी।पर समाज क्या कहेगा बेटा? बाबुजी की आँखें नम थी ,कौन सा समाज बाबुजी वो जिसने उसे वहाँ जिने नहीं दिया ताने मार मार कर.. नहीं बाबुजी मैं बस बेटी की खुशी देखूंगी समाज नहीं मैंने बस आप से आपकी बेटी की खुशी माँगी है!वो खुशी जो उसे कभी नहीं मिली जो उसके हक की थी!उसके ससुराल वालों ने कभी भी उसे नहीं स्वीकारा फिर उसे क्यों घुट घुट कर जिने दूं।
हाँ बहु तु ठीक कहती है जैसा तुम सब सोचो!तुम भाई भाभी ही तो उसका सब कुछ हो।मैंने बहुत पुन्य किये होगें जो तेरी जैसी बहु रूप में बेटी मिली।नहीं बाबुजी आप सब अब बस गुलाबो को दुल्हन के रूप में देखने की तैयारी करें बहुत जल्द मैं गुलाबो के हाथों में मेंहदी लगाऊँगी, चुड़ी पहनाऊँगी, उसे अपने हाँथों से सजाऊँँगी,सुलभा की आँखें भी गीली हो गई थी।
सुलभा अंदर आने को हुई की दरवाजे पर उसने गुलाबो को देखा जो अपने दोनों हाँथों को देख रही थी और आँखों से आँसु लुढ़क रहे थे ,सुलभा ने दोनों हाँथों को अपने हाँथ में लेकर चुमा और कहा गुलाबो अब तेरे हाँथों में भी मेंहदी लगेंगी मेरा वादा है। गुलाबो सुलभा के गले लग कर बहुत रोई बरसों से इस दर्द के साथ वो जी रही थी उसकी भाभी ने समझ लिया था।जा अब आँसु पोछ बाबुजी को खाना दे दे सुलभा ने कहा।
हाँ भाभी.. गुलाबो भाभी के जाने के बाद भी अपने दोनों हाँथों को निहार रही थी और एक सवाल बार -बार अपने आप से पुछ रही थी… “चुड़ियाँँ और मेंहदी सचमुच क्या मेरी कलाइयों पर सजेंगी”
निक्की शर्मा
मुम्बई