गुलमोहर
वे गुलमोहर बने रहे सदा तुम्हारे लिए
जब तुमने इस चिलचिलाती धूप में फरमाइश की
एक ठंडी और हरी छांव की
वे अपने छोटे-छोटे पत्तों से छतरी बनाकर
तत्पर रहे
झूलसती गर्मी में
उसके फूलों ने सींचा होगा
तुम्हारे सपनों को कभी
कभी सजाया होगा
तुम्हारे सपनों को अपने चटक रंगों से
पर तुम?
बैठ कर उसी की छाया में
काटते रहे उसकी जड़ें
सूरज की धूप से वे डरे नहीं कभी
तो तुमने भर-भर तश्तरी अंगारे बरसाए
गुलमोहर के झुलस जाने के बाद
फिर महसूस होगी जरूरत
किसी गुलमोहर की
और उन्हीं चटक रंगों के गुलमोहर