गुलमोहर तुम हो शहजादे
गुलमोहर तुम हो शहजादे
तुमको मेरी राधे राधे ,
तप्त हवाओं संग खेलते
बने बड़े ही सीधे साधे ।
माथ सुमन सोहें अति सुंदर
रंग लाल है बड़ा मनोहर,
झुलसे कभी न कड़ी धूप में
कितने मोहक बाहर अंदर !
तुम सूनी राहों की शोभा
तुमने सबका ही मन मोहा,
सहनशक्ति वंदनीय तुम्हारी
जिसका सबने माना लोहा ।
तरु जगत का श्रृंगार हो तुम
सुंदरता- अंबार हो तुम
बनकर लाल चुनरिया सोनी
सजाते धरा अपार हो तुम ।
डॉ रीता सिंह
चन्दौसी,सम्भल