गुरू
गुरू वही जो ज्ञान दे बदले समाज ये ध्यान दे
अनुभव कराये ज्ञान का,जीवन को इक पहचान दे।
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आत्मज्ञान है सबसे बडा पर तीन शर्ते हैं जुड़ी,
जिज्ञासा का भाव हो,दोष मिट जाएं सभी ।
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सार यही जीवन का है,पितु मात गुरू को मान दें
उत्सव मने हर पल तभी और स्वयं को मान दें।।
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मेरी मां मेरे पिता मेरे गुरूवर तुम्हीं से है मेरा संसार,
बस दो ये आशीर्वाद उम्रभर करती रहूं ज्ञान का विस्तार।
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डॉ मीनाक्षी कौशिक रोहतक