गुरू और सड़क
गुरू और सड़क
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गुरू और सड़क में
समानता बहुत है,
दोनों पथ प्रदर्शक है,
दोनों का उद्देश्य है
हमें मंजिल तक पहुँचाना।
समय समय पर अपने संकेतों से
हमें भटकने से बचाना,
हमें मंजिल तक पहुंचाने के लिए
हर कष्ट हँसते हुए सह जाना।
हर समय परिस्थिति में
येन केन प्रकारेण
हमारा उचित यथासंभव
कष्टरहित राह दिखाना,
अपने हर दुःख दर्द
चुपचाप सहते हुए
अपना कर्तव्य निभाना।
गुरू शिष्य से
सड़कें यात्रियों से
कभी शिकायत नहीं करते
मंजिल तक पहुंचाने की खातिर
दोनों हरदम खटते रहते।
दोनों हमें मंजिल पर
पहुँचाकर खुश हो जाते,
अपनी पीड़ा भूलकर
प्रसन्न होते,ठहाके लगाते,
अपने संकल्प के प्रति
दिन प्रतिदिन दृढ होते
और फिर अपने कर्तव्य में
जी जान से जुट जाते।
@सुधीर श्रीवास्तव