— गुरु —
बड़ा विकट सा जमाना आ गया
हर किसी पर इनका जादू छा गया
आँखों पर पट्टी जैसे बंध गयी हो
दिमाग का ब्रेन वाश भी हो गया !!
देकर अपने मुख से एक गुरु मंत्र
सब को इन्होने अपना दास बना लिया
भूल गया इंसान वो राह धर्म की
जुबान पर गुरु गुरु सा छा गया !!
बड़ा विचित्र , बड़ी कश्मकश है
इन के बिना सब नर्क ही नरक है
जो न कर पाया गुणगान इन के
उस के घर भी मातम सा छा गया !!
मंदिर जाऊं, या जाऊं गुरुद्वारे
इनके तो होते देखता हूँ वारे न्यारे
खुद कहते हैं मोह माया से बचो
फिर इन पर वो क्या बरसा गया !!
किस को कहूं मैं गुरु अपना
बड़ा दिमाग पर संकट सा छा गया
ये कलियुग को सतयुग बना रहे हैं
फिर मोह-माया घर घर क्यूँ आ गया ??
अजीत कुमार तलवार
मेरठ