गुरु
सारछंद
मात्रा भार 16/12
अंत 2 2
गुरु
नमन तुम्हें है गुणानिधान, जग में नाम कमाया।
शरण तिहारी आन पड़ा जो, भव से पार लगाया।।
ज्ञान की ज्वाला में तपा कर कंचन तुझे बनाया।
अज्ञान तम में हाथ बढ़ाकर ,सोया भाग जगाया।।
पड़ा शरण जो गुरुवर जाके, मन का मैल धुलाया।
पाप- ताप से काया छूटे, प्रभुवर दरस कराया।।
जग की उलझी डगर छुड़ा कर, सच्चा पथ दिखलाया।
माया के झूठे पाश तोड़, दे कर हाथ उठाया।।
नमो-नमो जय नमो गुरुदेव, तेरी कैसी माया।
अवगुण सब तुम ही संवारे, बेड़ा पार लगाया।।
ललिता कश्यप जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश
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