शीर्षक:गुरु हमारे शुभचिंतक
शीर्षक:गुरु हमारे शुभचिंतक
गुरु हमारे जीवन पथ पर
सबसे बड़ा रखता मुकाम
सर्वप्रथम उसको नमन
सर्वप्रथम उसको प्रणाम।
दीपक ज्योति सा जगमग जगमग
करता सबके जीवन का उद्धार
जिसके सर पर हाथ उसका
उसकी महिमा हो अपरमपार।
माॅं की सी ममता लुटाता
पिता सा कठोर बन जाता
सही गलत का मार्ग दर्शाता
शुभचिंतक बन रहता साथ।
चार शब्दों में लिख ना पाऊंगी
गुरु को कभी भुला न पाऊंगी
गुरु का कहां पूर्ण वर्णन हो पाया
आधा -अधूरा ही हर कोई कर पाया ।
हरमिंदर कौर, अमरोहा (यूपी)